गूगल ने Real-Time Call Fraud Detection फीचर लॉन्च किया है, जो कॉल के दौरान स्कैम पैटर्न डिटेक्ट कर सकता है।
यह फीचर Gemini Nano मॉडल पर चलता है — यह Google का एक छोटा, ऑन-डिवाइस AI मॉडल है, जिसे विशेष रूप से फोन जैसे डिवाइस पर काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
कॉल के दौरान विश्लेषण फोन के अंदर (on-device) होता है — गूगल का कहना है कि ऑडियो रिकॉर्ड नहीं किया जाता और न ही ट्रांसक्रिप्ट क्लाउड पर भेजा जाता है।
यह फीचर डिफ़ॉल्ट रूप से बंद (off) रहता है — उपयोगकर्ता को कॉल ऐप की सेटिंग्स में जाकर इसे खुद ऑन करना होगा।
यह सिर्फ Unknown नंबरों (सेव न किए गए कॉन्टैक्ट्स) पर काम करता है।
जब स्कैम-संदिग्ध बातचीत होती है, तो कॉल में बीप साउंड बजता है, ताकि दोनों पक्षों को पता चले कि स्कैम डिटेक्शन सक्रिय है।
यह फीचर शुरुआती रोलआउट में Pixel 9 और उसके बाद के मॉडल्स के लिए है।
भाषा की सीमा: रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुरुआत में यह केवल अंग्रेज़ी भाषा वाली कॉल्स के लिए चेतावनी दे सकता है।
2. स्क्रीन-शेयर स्कैम के लिए सुरक्षा
Google ने उन स्कैम्स को भी टारगेट किया है जहाँ स्कैमर कॉल के दौरान यूज़र को स्क्रीन शेयर करने के लिए कहता है, ताकि OTP, PIN या बैंक ऐप तक पहुंचा जा सके।
इसके लिए Google ने एक Screen Sharing Alert फीचर जारी किया है: अगर कॉल के दौरान कोई उपयोगकर्ता स्क्रीन शेयर कर रहा है और उसी समय Google Pay, Paytm या Navi जैसे ऐप खोलता है, तो एक “प्रॉमिनेंट अलर्ट” दिखाई देता है।
उस अलर्ट में एक विकल्प होता है: “End Call + Stop Sharing” — ताकि यूज़र तुरंत कॉल बंद कर सके और स्क्रीन शेयरिंग रोकी जा सके।
यह स्क्रीन-शेयर अलर्ट उन डिवाइसों पर काम करता है जिनमें Android 11 या उससे ऊपर है।
3. Enhanced Phone Number Verification (ePNV)
Google ने SMS-OTP आधारित वेरिफिकेशन की जगह ePNV (Enhanced Phone Number Verification) नाम से एक नया सिक्योर वेरिफ़िकेशन प्रोटोकॉल पेश किया है।
ePNV SIM-आधारित है — मतलब कि यह आपके सिम कार्ड से यह वेरिफिकेशन करता है, जिससे OTP फ्रॉड की सम्भावना कम हो जाती है।
इस सिस्टम से फ्रॉड वाले OTP ट्रिक्स (जैसे स्कैमर OTP भेजना और वेरिफ़िकेशन का गलत इस्तेमाल करना) को कम किया जा सकता है।
4. प्राइवेसी और डेटा सुरक्षा
चूंकि कॉल विश्लेषण ऑन-डिवाइस होता है, Google किसी भी कॉल का पूरा रिकॉर्ड क्लाउड पर नहीं भेजता।
Google स्पष्ट करता है कि ऑडियो रिकॉर्डिंग या ट्रांसक्रिप्ट स्टोर नहीं किया जाएगा।
यूज़र को पूरा कंट्रोल है — यह फीचर ऑप्ट-इन है, यानी आप इसे चालू/बंद खुद कर सकते हैं।
यह डिजाइन उपयोगकर्ता की प्राइवेसी को प्राथमिकता देता है, क्योंकि संवेदनशील बातचीत कहीं बाहर लॉग नहीं होती।
5. सीमाएँ और चुनौतियाँ (और जोखिम)
भाषा प्रतिबंध: जैसा कि ऊपर बताया गया, शुरुआत में यह इंग्लिश कॉल्स तक ही सीमित हो सकता है।
डिवाइस सीमितता: फिलहाल सिर्फ Pixel 9 और उसके बाद के मॉडल के लिए यह फीचर घोषित किया गया है।
ऑप्ट-इन होने की ज़रूरत: यदि उपयोगकर्ता सेटिंग्स में न जाए, तो यह फीचर काम नहीं करेगा।
गलत अलर्ट: जैसा कि कुछ यूज़र अनुभव कर रहे हैं — कभी-कभी फीचर “बेबुनियाद” कॉल्स को भी स्कैम के रूप में चेतावनी दे सकता है। उदाहरण के लिए एक Reddit यूज़र ने बताया कि उन्होंने एक वैध कॉल में भी स्कैम अलर्ट देखा।
स्कैम की विविधता: यह फीचर हर तरह के स्कैम को कवर नहीं कर सकता — विशेष रूप से वो स्कैम्स जो बहुत नए या वैरिएंट हैं, या बहुत उन्नत सोशल इंजीनियरिंग वाले हो सकते हैं।
कानूनी सवाल: कुछ सुरक्षा विशेषज्ञों ने यह सवाल उठाया है कि “कॉल सामग्री को AI द्वारा प्रोफाइल करना” भारतीय कानून के दायरे में कैसे फिट बैठता है।
पैमाने पर रोलआउट चुनौती: रिपोर्ट्स के मुताबिक गूगल फिलहाल अन्य Android ब्रांड्स (Pixel के अलावा) में इस फीचर को जल्दी अपनाने की योजना बना रहा है, लेकिन टाइमलाइन स्पष्ट नहीं है।
निष्कर्ष
यह फीचर 100% वास्तविक है और Google ने इसे भारत में लॉन्च भी किया है।
यह AI-सक्षम सुरक्षा लेयर स्कैम कॉल्स और स्क्रीन-शेयर फ्रॉड दोनों से मुकाबला करने की कोशिश करती है।
प्राइवेसी का बड़ा ध्यान रखा गया है क्योंकि सारा प्रोसेस ऑन-डिवाइस होता है।
लेकिन यह पूर्ण समाधान नहीं है — सीमाएँ हैं और उपयोगकर्ता को पूरी तरह सावधान रहना चाहिए।
फिर भी, यह गूगल की स्कैम सुरक्षा की दिशा में एक बहुत बड़ा और तकनीकी कदम है — खासकर उन लोगों के लिए जो अक्सर अनजान नंबरों से कॉल्स और स्कैम का सामना करते हैं।