यहां लोग नोटों के बंडल को भी नहीं चाहते, इन्हें रद्दी की तरह फेंक दिया जाता है।
ये नोट अब दुकानों या बाजार में नहीं चलते, इसलिए लोग इन्हें खरीदने से बचते हैं।
इन नोटों को अब कागज के वजन के हिसाब से बेचा जाता है, कोई असली कीमत नहीं मिलती।
लोग नोटों से भरी थैलियां बेचने को मजबूर हैं, क्योंकि उनका कोई उपयोग नहीं बचा।
नोटों के बंडल सड़क पर पड़े रहते हैं और बच्चे उन्हें खिलौनों की तरह उठा लेते हैं।
सरकार के फैसले से अचानक इन करंसी नोटों को बेकार घोषित कर दिया गया था।
कभी दौलत की पहचान रहे ये नोट आज सिर्फ रद्दी बन गए, किसी के काम के नहीं।