हिमालय की ऊंचाई इतनी ज्यादा है कि प्लेन के लिए हवा पतली हो जाती है और इंजन पर असर पड़ता है।
यहां मौसम पल भर में बदल जाता है। तेज हवाएं और तूफानी बादल उड़ान को बेहद खतरनाक बना देते हैं।
इतनी ऊंचाई पर हवा पतली हो जाती है जिससे यात्रियों और क्रू को ऑक्सीजन की दिक्कत हो सकती है।
हिमालय के ऊपर किसी भी आपात स्थिति में लैंडिंग की कोई जगह नहीं मिलती, जो बड़ा रिस्क है।
पहाड़ों के कारण रेडियो सिग्नल और नेविगेशन सिस्टम प्रभावित होते हैं, जिससे पायलट को समस्या आती है।
तेज हवाएं और वायुमंडलीय दबाव में बदलाव से खतरनाक टर्बुलेंस बनता है, जो प्लेन को हिला देता है।
एयरलाइंस कंपनियां सुरक्षा को प्राथमिकता देती हैं, इसलिए हिमालय के ऊपर से उड़ान नहीं भरतीं।