ज्यादातर कंपनियाँ अनुभव मांगती हैं, जिससे फ्रेशर्स को पहला मौका मिलना मुश्किल हो जाता है।
पढ़ाई और इंडस्ट्री की जरूरतों में फर्क होने से फ्रेशर्स को स्किल्स की कमी महसूस होती है।
हजारों फ्रेशर्स एक ही जॉब के लिए अप्लाई करते हैं, जिससे सिलेक्शन का चांस कम हो जाता है।
प्रोफेशनल नेटवर्क न होने से अच्छे मौके और रेफरल्स पाना फ्रेशर्स के लिए कठिन हो जाता है।
कई फ्रेशर्स इंटरव्यू में घबरा जाते हैं और सही तरीके से अपने स्किल्स पेश नहीं कर पाते।
बिना पेड इंटर्नशिप या सीमित अवसरों के कारण फ्रेशर्स को प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस नहीं मिल पाता।
सही करियर गाइडेंस और मेंटरशिप न मिलने से फ्रेशर्स सही दिशा में आगे नहीं बढ़ पाते।