आरोपी ने 22 फर्जी कर्मचारियों के नाम से रिकॉर्ड बनाया और उनकी सैलरी खुद लेता रहा।
यह धोखाधड़ी करीब 8 साल तक बिना पकड़े चलती रही और कंपनी को करोड़ों का नुकसान हुआ।
हर महीने 22 कर्मचारियों की सैलरी बैंक अकाउंट में आती और आरोपी उसे निकाल लेता।
कंपनी मैनेजमेंट को लंबे समय तक शक नहीं हुआ क्योंकि रिकॉर्ड और एंट्री सही दिखती थी।
कंपनी के इंटरनल ऑडिट में पहली बार फर्जी कर्मचारियों के रिकॉर्ड पर सवाल उठे।
जब गहन जांच हुई तो सामने आया कि जिन कर्मचारियों के नाम पर सैलरी जा रही थी वे मौजूद ही नहीं थे।
खुलासा होने के बाद आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और केस दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू हुई।